अध्याय 6: विधुत चुम्बकीय प्रेरण

 

1. अन्योन्य प्रेरण का S.I. मात्रक है?

  • हेनरी
  • ओम
  • टेसला
  • इनमें से कोई नहीं

उत्तर

हेनरी

2. चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक नहीं है ।

3. ट्रांसफॉर्मर कार्य करता है –

  • केवल d.c.
  • केवल a.c.
  • a.c. और d.c. दोनों
  • इनमें से कोई नहीं

उत्तर

केवल d.c.

4. चुम्बकीय क्षेत्र के फ्लक्स की S.I. इकाई होती है –

  • टेसला
  • हेनरी
  • वेबर
  • जूल-सेकेण्ड

उत्तर

वेबर

5. प्रेरण कुंडली से प्राप्त होता है –

  • उच्च धारा, प्रबल विद्युत वाहक बल
  • निम्न धारा, प्रबल विद्युत वाहक बल
  • प्रबल धारा, निम्न विद्युत वाहक बल
  • निम्न धारा, निम्न विद्युत वाहक बल

उत्तर

निम्न धारा, प्रबल विद्युत वाहक बल

6. डायनेमो के कार्य का सिद्धांत आधारित है –

  • धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर
  • विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण’
  • प्रेरित चुम्बकत्व पर
  • प्रेरित विद्युत पर

उत्तर

प्रेरित चुम्बकत्व पर

7. तप्त तार ऐमीटर मापता है प्रत्यावर्ती धारा का –

उत्तर

औसत मान

8. चुम्बकीय प्रेरण के समय के साथ बदलने से किसी बिन्दु पर उत्पन्न होता है –

उत्तर

वैद्युत क्षेत्र

9. जब किसी कुंडली के निकट किसी चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव दूर ले जाया जाता है तब उसमें उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा की दिशा होती है –

उत्तर

वामावर्त्त

10. निम्न में से कौन-सा नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है?

उत्तर

लेंज नियम

11. एक चुम्बक एक बंद चालक के निकट स्थित है। चालक में धारा उत्पन्न की जा सकती है। यदि :

उत्तर

चालक और चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति हो

12. किसी बन्द परिपथ का प्रतिरोध 10 ओम है। इस परिपथ से t समय (सेकेण्ड) में, चुम्बकीय फ्लक्स (वेबर में) φ = 6t2–5t +1 से परिवर्तित होता है। t= 0.25 सेकेण्ड पर परिपथ में प्रवाहित धारा (एम्पियर में) होगी

13. छड़ में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान होगा:

14. ट्रांसफॉर्मर का क्रोड बनाने के लिए सबसे उपयुक्त पदार्थ निम्नलिखित में से कौन है?

उत्तर

मुलाइम इस्पात

15. तप्त तार ऐमीटर मापता है प्रत्यावर्ती धारा का

उत्तर

औसत मान

16. किसी उच्चायी (step-up) ट्रांसफॉर्मर के प्राइमरी और सेकंडरी में क्रमश: N1और N2 लपेट हैं, तब

17. उदग्र तल में चालक तार की वृत्ताकार कुंडली रखी हुई है। इसकी ओर एक छड़ चुम्बक लाया जा रहा है। चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कुंडली की ओर है। चुम्बक की तरफ से देखने पर कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा होगी

उत्तर

वामावर्त

18. एक सीधा चालक छड़ पूर्व-पश्चिम की ओर क्षैतिज स्थिर रखा गया है। इसे गिरने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके सिरों के बीच विभवान्तर

उत्तर

बढ़ता जायेगा

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